जाओ ना कोरोना
चलो कोरोना बहुत टहल लिए
अब जाओ किसी कंदरा में
दफ़न हो जाओ |
जाते-जाते प्राथना कर जाना
की ये मानव पशुओं को जीने दे
उन्हें मारना , कूटना, काटना, पकाना
बस अब बंद कर दे |
प्रेरणा दे जाओ मानव को
की फिर से प्रकृति से मिल कर
जिये और जीने दे|
पेड़ होंगे तो साँसे चलती रहेंगी
राजा शेर भी होगा
और उसके साथ रंग-बिरंगे
विभिन्न आकारों, स्वभाव वाले
जीव होंगे जो तालाब पर
पानी पिएंगे, दौड़-भाग करेंगे
गर्दन ऊँची कर हरे-भरे पत्ते खाएँगे|
मानव मन ये सब देख
प्रफुल्लित होगा
इन अनमोल दृश्यों को कैमरे में कैद करेगा
बस यहीं तक ठीक रहेगा कोरोना|
करो ना कैद उनको चिड़ियाघरों में
करो ना उनकी पैदावार विरानो
में बसाये छोटे-छोटे कैदखानों मे|
सब जीव जंगल के, सड़क के
फिर जियें सर उठा के|
जिनके घर-ज़मीन पटाकर
मानव ने अपने कंक्रीट के
घरोंदे, सड़के बनायीं,
वहां बाकी जीवों को
शांति से बैठने का, आज़ादी से जीने
का अधिकार वापस करो|
दो वक़्त की रोटी-पानी उन्हें भी मिल जाये
ऐसी वयवस्था कर जाओ कोरोना
सब जीव जंगल के, सड़क के
फिर जियें सर उठा के
फिर समझ लेना तुम्हारा काम पूरा हुआ|
कई हज़ार की बलि लेने के बाद
पेट तो तुम्हारा अब भर ही गया होगा
शहर-शहर गली-गली देश-देश को
आतंकित तुमने बहुत कर लिया
बस और क्या चाहते हो कोरोना ?
बख़्शो हमें, बख्शों सब जीवों को
बख्श दो हमें अब तुम
बहुत शैतानी कर ली|
अब जाओ भी ना कोरोना
जाओ ना, बहुत टहल लिए|