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Tuesday, April 7, 2020


जाओ ना कोरोना

चलो कोरोना बहुत टहल लिए
अब जाओ  किसी कंदरा  में
दफ़न हो जाओ |

जाते-जाते प्राथना कर जाना
की ये मानव पशुओं को जीने दे
उन्हें मारना , कूटना, काटना, पकाना
बस अब बंद कर दे |

प्रेरणा दे जाओ मानव को
की फिर से प्रकृति से मिल कर
जिये और जीने दे|

पेड़ होंगे तो साँसे चलती रहेंगी
राजा शेर भी होगा
और उसके साथ रंग-बिरंगे
विभिन्न आकारों, स्वभाव  वाले
जीव होंगे जो तालाब पर
पानी पिएंगे, दौड़-भाग करेंगे
गर्दन ऊँची कर हरे-भरे पत्ते खाएँगे|

मानव मन ये सब देख
प्रफुल्लित होगा
इन अनमोल दृश्यों को कैमरे  में कैद करेगा
बस यहीं तक ठीक रहेगा कोरोना|

करो ना  कैद उनको चिड़ियाघरों में
करो ना  उनकी पैदावार विरानो
में बसाये छोटे-छोटे कैदखानों मे|
सब जीव जंगल के, सड़क के
फिर जियें सर उठा के|

जिनके घर-ज़मीन  पटाकर
मानव ने अपने कंक्रीट के
घरोंदे, सड़के बनायीं,
वहां बाकी जीवों को
शांति से बैठने का, आज़ादी से जीने
का अधिकार वापस करो|

दो वक़्त की रोटी-पानी उन्हें भी मिल जाये
ऐसी वयवस्था कर जाओ कोरोना
सब जीव जंगल के, सड़क के
फिर जियें सर उठा के
फिर समझ लेना तुम्हारा काम पूरा हुआ|

कई हज़ार की बलि लेने के बाद
पेट तो तुम्हारा अब भर ही गया होगा
शहर-शहर गली-गली देश-देश को
आतंकित तुमने बहुत  कर लिया
बस और क्या चाहते हो कोरोना ?

बख़्शो हमें, बख्शों सब जीवों को
बख्श दो हमें अब तुम
बहुत शैतानी कर ली|

अब जाओ भी ना  कोरोना
जाओ ना, बहुत टहल लिए| 

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I am a dreamer, an optimist, a person with a voice. A normal being who trained as a media professional in India and Australia. I am also a trained community worker. I love trying out new things, taking up new ventures etc. etc. I am bilingual and multicultural. I am a planetarian and try my best to live beyond barriers created by often very unkind human kind for humans and other more important living beings. I live my life reading, thinking, writing and talking.