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Saturday, September 4, 2010

मेरे कदम चाँद पर

DATELINE INDIRAPURAM
8 /03 /2006

मेरे कदम चाँद पर
चहलकदमी करते हैं
और वो यहीं
जमीन पर घुटने टिकाये
इर्द-गिर्द फैले टुकड़े-टुकड़े
दाने को ही बटोरते रहते हैं .

कह-कह कर थक गई
आओ उठो तुम भी
थोडा चाँद पर चहलकदमी करके तो देखो
उठ नहीं सकते तो पकड़ो मेरा हाथ
और खिंचे चले आओ यहाँ तक.

मेरे कदम चाँद पर
चहलकदमी करते हैं


यहाँ कई और कदमो की आहट
मुझे सुनाई देती है 
अहसास है मुझे इन सह्पथिको की उपस्थति का
पर लगता है सब बहुत शर्मीले हैं 
इस विस्तार में अलग-अलग
खुद अपने ही साथ 
निशब्द ही टहलते रहते हैं.

मायूस वो भी हैं
सोच कर कि जाने कितने ही साथी
जमीन पर घुटने टिकाये
बंदरबांट में ही जीवन
कि तलहटी पर रेंगते न रह जाएँ. 

चलो छोड़ो जाने भी दो
जब तुम्हे फुर्सत हो तो
इस रस्ते भी चले आना
चाहे अनचाहे , तो यहीं चाँद पर
फिर  मुलाकात होगी.

मेरे कदम चाँद पर
चहलकदमी करते हैं
और वो यहीं
जमीन पर घुटने टिकाये
इर्द-गिर्द फैले टुकड़े-टुकड़े
दाने को ही बटोरते रहते हैं.

©sumeghaagarwal














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I am a dreamer, an optimist, a person with a voice. A normal being who trained as a media professional in India and Australia. I am also a trained community worker. I love trying out new things, taking up new ventures etc. etc. I am bilingual and multicultural. I am a planetarian and try my best to live beyond barriers created by often very unkind human kind for humans and other more important living beings. I live my life reading, thinking, writing and talking.