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Sunday, September 12, 2010

तुमसे पहले तुम्हारे चुने इस रास्ते पर

DATELINE INDIRAPURAM
9 /03 /06



तुमसे पहले तुम्हारे चुने इस रास्ते पर
चल चुके हैं और भी लोग

संकेरे हैं उन्होंने कांटे और उगाते चले गये फूल
करते रहे समतल, सुन्दर इस रास्ते को वो

तुम भी कर्म के महायज्ञ में
धर्मनीति पर चलते हुये
समयानूकूल आहुतियाँ देते रहोगे
इसी आशा में तुमसे पहले चले लोग
इसी रास्ते पर चल कर मंजिलो को
अपनी अपनी पहुँचते चले गये

तुम्हारी शक्ति हैं तुमसे पहले
चल चुके लोगों के साह्स में निष्ठा
तुम्हारी प्रेरणा है तुमसे पीछे
चलने वालों की आशाएं और अपेक्षाएं

चलते रहो वीर तुम
इस चयनित पथ पर

निडर, निर्भय, चलो की
जैसे विचरण कर रहे हो
किसी सुन्दर कानन वन
की सुरमई पगडण्डी पर

कोयों का कलरव तो है
पर अनभिज्ञ नहीं तुम
कोयल की कुहू कू से

पथ पर कंकर सही
पर ऊपर विराट आकाश
की नीलाई तुम्हे अपने
आगोश में रखे हुये है

अभी तो सूरज उगा था
फिर  चाँद भी अपनी जगह आ टंगेगा
उसे पता है कि गहन वन की
पगडंडियों पर निर्बाध चलने के लिए
उसे रोशनी देनी ही होगी

तुमसे पहले तुम्हारे इस
चुने रास्ते पर चल चुके हैं और भी लोग.

©sumeghaagarwal

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.
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I am a dreamer, an optimist, a person with a voice. A normal being who trained as a media professional in India and Australia. I am also a trained community worker. I love trying out new things, taking up new ventures etc. etc. I am bilingual and multicultural. I am a planetarian and try my best to live beyond barriers created by often very unkind human kind for humans and other more important living beings. I live my life reading, thinking, writing and talking.